जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का शिकार बने पुणे के एक व्यवासी की 26 वर्षीय पुत्री असावरी जगदाले ने आतंकियों की बर्बरता बयां की है
उन्होंने बताया कि आंतकियों ने हमले के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कोसा और उनके पिता 56 वर्षीय संतोष जगदाले को इस्लामी आयत पढ़ने को कहा, जब वह नहीं पढ़ पाए तो उन पर गोलियां बरसा दीं। असावरी ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उनके पिता व चाचा जिंदा हैं अथवा नहीं
पुणे में एचआर पेशेवर असावरी ने फोन पर बताया, ‘हमारा पांच लोगों का एक समूह था, जिसमें मेरे माता-पिता भी शामिल थे। हम छुट्टियां बिताने आए थे। हम पहलगाम के पास बैसरन घाटी में मिनी स्विटजरलैंड नामक स्थान पर थे।
आगे बताया कि दोपहर लगभग 3.30 बजे हमने स्थानीय पुलिसकर्मियों जैसे कपड़े पहने हुए लोगों की ओर से फायरिंग की आवाज सुनी। वे नजदीकी पहाड़ी से उतर रहे थे। हम तुरंत बचने के लिए नजदीकी टेंट में चले गए। छह-सात अन्य पर्यटकों ने भी ऐसा ही किया
आगे अवसारी ने बताया कि हमें लगा कि आतंकियों व सुरक्षा बलों के बीच फायरिंग हो रही है, लिहाजा हम सभी बचने के लिए जमीन पर लेट गए। आतंकियों का एक ग्रुप पहले नजदीकी टेंट में आया और फायरिंग शुरू कर दी। फिर वे हमारे टेंट में आए और मेरे पिता से बाहर आने को कहा।

असावरी ने बताया कि आतंकियों ने कई अन्य पुरुषों को भी गोली मार दी। उन्हें, उनकी मां और एक अन्य महिला रिश्तेदार को आतंकियों ने छोड़ दिया। वहां कोई पुलिस या सेना नहीं थी, वे 20 मिनट बाद वहां पहुंचे। यहां तक कि वहां के स्थानीय लोग भी इस्लामी आयत पढ़ रहे थे
जो लोग हमें टट्टुओं से उस जगह पर लेकर पहुंचे थे, उन्होंने हमारी मदद की जिनमें मैं और मेरी मां समेत तीन महिलाएं थीं। बाद में हमारी मेडिकल जांच की गई और फिर हमें पहलगाम क्लब में स्थानांतरित कर दिया गया
